आध्यात्मिक आरती का संग्रह

यहां विभिन्न देवी-देवताओं की आरती हैं, जो आपके जीवन में शांति और आशीर्वाद लाने के लिए समर्पित हैं। इन भजनों के माध्यम से आप अपनी आत्मा को शुद्ध कर सकते हैं और दिव्यता का अनुभव कर सकते हैं।

ईश्वर और महापुरुषों के अनमोल उपदेश

"न हि देहभृता शक्यं त्यक्तुं कर्माण्यशेषतः। यस्तु कर्मफलत्यागी स त्यागीतः सदा सुखी।"

(महाभारत, शांति पर्व 264.27)

भगवान श्री कृष्ण

"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।"

(भगवद गीता 2.47)

भगवान श्री कृष्ण

"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत। अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्।"

(भगवद गीता 4.7)

भगवान श्री कृष्ण

"सुख-दुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।"

(भगवद गीता 2.38)

भगवान श्री कृष्ण

"अहिंसा परमो धर्मः।"

(महाभारत, अनुशासन पर्व 116.38-39)

महर्षि वेदव्यास

"जो हुआ, वह अच्छे के लिए हुआ। जो हो रहा है, वह अच्छे के लिए हो रहा है। जो होगा, वह भी अच्छे के लिए होगा।"

(भगवद गीता 2.27)

भगवान श्री कृष्ण

"मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है। जैसा वह विश्वास करता है, वैसा वह बन जाता है।"

(भगवद गीता 17.3)

भगवान श्री कृष्ण

"उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत्। आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः।"

(भगवद गीता 6.5)

भगवान श्री कृष्ण

"प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः।"

(भगवद गीता 9.8)

भगवान श्री कृष्ण

"अर्जुन, तेरा कर्तव्य सिर्फ कर्म करना है। परिणाम तेरे हाथ में नहीं है।"

(भगवद गीता 2.47 - भावार्थ)

भगवान श्री कृष्ण

"ज्ञानेन तु तदज्ञानं येषां नाशितमात्मनः। तेषामादित्यवज्ज्ञानं प्रकाशयति तत्परम्।"

(भगवद गीता 5.16)

भगवान श्री कृष्ण

"समोऽहं सर्वभूतेषु न मे द्वेष्योऽस्ति न प्रियः।"

(भगवद गीता 9.29)

भगवान श्री कृष्ण

"श्रेयान्स्वधर्मो विगुणः परधर्मात्स्वनुष्ठितात्।"

(भगवद गीता 3.35)

भगवान श्री कृष्ण

"क्षत्रियस्य न दैन्यं धर्मः।"

(महाभारत)

भगवान श्री कृष्ण

"तस्मात्सर्वेषु कालेषु मामनुस्मर युध्य च।"

(भगवद गीता 8.7)

भगवान श्री कृष्ण